Page:Garcin de Tassy - Rudiments de la langue hindi.djvu/23

Le texte de cette page a été corrigé et est conforme au fac-similé.
HINDOUI. HINDI.
कहानी नक्ल
दोय जानपहचान मिलकै भ्रमन कौं निकले औ चलै चलै नदी कै तीर पै पहुंचे तद एक नें दुसरै सों कह्यौ जो भाई तुम यहां खड़े रहौ तौ मैं शीघ्र एक डुबकी मार लौं यानें कह्यौ बहुत अच्छौ यह सुन बीस रुपये याहि सौंपकै कपड़े तीर पै रख जौं पानी मों पैठ्यौ तौं यानें चतुराई सों ते रुपये काहू कै हाथ अपनै घर भेज दिये वाने निकल कपड़े पहन रुपये मांगे यह बोल्यौ लेखा सुन लौ वाने कह्यौ अभी देते अबेर भी नहीं हूई लेखा कैसौ निदान दोनों से बिबाद होने लग्यौ औ सै पचास लोग घिर आये उन मों सों एक ने रुपये वाले सों कह्यौ जो अजी क्यों कगड़त हौ लेखा का लिये नहीं सुन लेत हार मान वाने कह्यौ अच्छा कह वह बोल्यौ जा काल आप ने डुबकी मारी मैं ने जान्यौ डूब गये पांच रुपये दे तुम्हारै ग्रेह संदेसा भेज्यौ औ निकलै तौ भी और पांच रुपये आनंद कै दान मों दिये रहे दश सो मैं ने अपनै ग्रेह भेजे हैं विन की कुछ चिंता हो तौ मो सों टीप लिखवा लौ यह धांधलपनै की बात सुन वह बिचारा बोल्यौ भलौ भाई भर पाये. दो आशना मिलकर सैर को निकले और चले चले दर्या कनारे पर पहुंचे तब एक ने दूसरे से कहा कि भाई तुम यहां खड़े रहो तो मैं जलदी से गोतः लगा लूं इस ने कहा बहुत बिहतर यिह सुन वुह बीस रुपये इसे सुपुर्द कर कपड़े किनारे पर रख जों पानी में पैठा तों इस ने चालाकी से वे रुपये किसी के हाथ अपने घर भेज दिये उस ने निकल कपड़े पहन रुपये मांगे यिह बोला हिसाब सुन लो उस ने कहा अभी देते देर भी नहीं हूई हिसाब कैसा गरज दोनों से तकरार होने लगी और सौ पचास आदमी घिर आए उन में से एक ने रुपये वाले से कहा कि मियां क्या झगड़ता है हिसाब किस लिये नहीं सुन लेता हार मान उस ने कहा अच्छा कह वुह बोला जिस वक्त आप ने गोतः मारा मैं ने जाना डूब कये पांच रुपये तुम्हारे दे घर ख़बर भेजी और निकले तब भी और पांच रुपये ख़ुशी की ख़ैरात में दिये रहे दस सो मैं ने अपने घर भेजे हैं विन का कुछ सन्देशः हो तो मुक से तमस्सुक लिखवा लो यिह धांधलपने की बात सुन वह बिचारा बोला साहिब भर पाए